हर युग में हर परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाये, हर बार नयी रहती है। हर युग में हर परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाये, हर बार नयी रहती है।
पीपल का हूँ वृक्ष अभागा सूखे नयनन कृश है काया। पीपल का हूँ वृक्ष अभागा सूखे नयनन कृश है काया।
गुहर चुन कर तुम्हारी पलकों में छुपा कर रखी हुई नज्में चुरा लेती हूं ! गुहर चुन कर तुम्हारी पलकों में छुपा कर रखी हुई नज्में चुरा लेती हूं !
तो देखो उस टिमटिमाते हुए सितारे को, चमचमाते हुए जा रहे हैं चाँद की ओर... तो देखो उस टिमटिमाते हुए सितारे को, चमचमाते हुए जा रहे हैं चाँद की ओर...
मिटा देते जला देते है पापी को जड़ों से हम। हमारे सामने फिर पाप कोई कर न पाया है। मिटा देते जला देते है पापी को जड़ों से हम। हमारे सामने फिर पाप कोई कर न पाया ह...
हिन्दी भाषा है महान हिन्दी भाषा है महान